वार्षिक प्रतियोगिता हेतु कहानी
विधा: कहानी
शीर्षक: "डरना जरूरी है"
बहारें मौसम पर लदी थीं ..!
मौसमी बयार और बारिश जोरों पर थी , वृक्षों से कच्चे पक्के फल फूल झड़ते थे ..!
वहां पर एक कस्बा और उसमें शिवालय :
मंदिर के चबूतरे पर फल गिरते और आवाज करते ।
गांव में ग्राम पंचायत ने वह मंदिर कभी चंदा लेकर बनवाया था । वहां , कुछ दूरी पर श्याली के दादाजी का मकान..!
मंदिर पर पुनः निर्माण का कार्य जोरों पर था ..। श्याली के दादाजी भी मंदिर निर्माण कमेटी के प्रारंभिक सदस्य थे,आधा अधूरा भवन निर्माण ही हुआ था कि,श्याली के दादाजी हृदय घात के कारण अचानक चल बसे ..। यों अचानक उनका जाना सभी सन्न थे ..!
मंदिर निर्माण का कार्य बीच में ही रुक गया था ..। अपने समय के दबंग फोरेस्ट रेंज के अवकाश प्राप्त दादाजी बेहद ईमानदार व्यक्ति थे ।
बच्चों को अच्छी तरह से शिक्षा दीक्षा दी थी ..घर बहुत ही सम्पन्न और समृद्ध था ..!
उनके जाने से सबसे बड़ी बाधा धनार्जन की आ रही थी क्योंकि अभी तक वे ही सभी खर्चे का हिसाब किताब अपनी निगरानी में कर रहे थे ..!
सभी सदस्यों को उनपर विश्वास था । श्याली की दादी बिल्कुल अनपढ़ थीं,अंगूठा छाप थीं, भले ही हिसाब किताब का ज्ञान ना हो किन्तु ,दुनियां का अनुभव बहुत अधिक था ।
श्याली के दादाजी के जाने के बाद वह बिल्कुल अकेली रह गई थीं । उनके दोनों पुत्र बाहर नौकरी करते थे ,वे भी अपने परिवारों के साथ व्यस्त रहते थे ।
इधर मंदिर के काम में रुकावटें आईं ,
आर्थिक मदद की बहुत जरूरत थी ।
लेकिन , श्याली के दादाजी के पास हिसाब का बहिखाता था ..!
मंदिर सदस्यों को हजारों रुपए का हिसाब नहीं मिल रहा था । वे दुखी थे उनको लग रहा था कि , मिस्टर कुंदन ऐसा नहीं कर सकते हैं ?
आपस में बोलते ,"--देखो किसी के मुंह पर नहीं लिखा हुआ है कि, व्यक्ति कैसा है ,हम जिसे देवता समझते थे वह ही ऐसा निकलेगा सोचा नहीं था ..!"
दूसरा बोला,"--कुछ नहीं बोल सकते घोर कलयुग है ,बताओ .! ऐसा ईमानदार आदमी और पैसों का हेर फेर ..कैसे मुक्ति होगी ?"
तब एक कहता,"---मंदिर कार्य में ऐसी बातें अच्छी नहीं होती .. ईमानदारी का लेप लगाने वालों का अक्स अक्सर दलदल में धंसता दिखाई देता है ..आगे संतान पर ही आता है ..!"
यह बातें पास में ही गुजर रही श्याली ने सुनी ,उसने अपनी दादी जी को बताया । दादी ,"---लोग इस तरह की बातें क्यों करते हैं?"
दादी बोली,"--कोई बात नहीं श्याली , ईश्वर के दरबार में देर है परंतु अंधेर नहीं ,देखो हमेशा हमारे मकान के सामने मंदिर में दीपक जलता रहता है ..! हम निराश क्यों हों ?"
लोगों के अंदर रोष था इसलिए उन्होंने, श्याली के परिवार व दादी से लोगों ने दूरियां बना ली थीं ..!
श्याली के घर में पड़ा ताऊ के ब्याह का सोफा बहुत खराब हो चुका था ,उसकी दादी ने उसे घर के बाहर रख दिया था , उसको समझ नहीं आ रहा था फेंक दें या रखें । उसपर मौसमी मार का कहर बदस्तूर जारी था ..!
एक दिन दादी ने कहा,"---श्याली तुम जब तक दिल्ली जाती हो,तब तक इसको कबाड़ में ही बेच दूं ..!"
श्याली बोली ,"--दादी ठीक है कल ही कबाड़ को दे देंगे ।"
जब वह सोफा दादाजी के कमरे में रहता था कितनी शान रंगत लगती थी ,एक ड्रेसिंग टेबल एक टेबल सोफा सभी कुछ व्यवस्थित । सीमित साधनों में भी परिपूर्ण घर ।
श्याली रात को में सोने चली गई ।
रात का सन्नाटा उसे लगा दरवाजे पर कोई दस्तक दे रहा है । वह दौड़कर बाहर भागी । सामने सोफे पर दादाजी बैठे थे ।
दादाजी अपनी छड़ी लेकर ,शान से सोफे पर बैठे थे .. उन्होंने कुछ कहना चाहा ,पर बोल नहीं पा रहे थे । उनकी आवाज़ में कम्पन थी ..!
बोले ,"---बेटा श्याली ...इधर आओ ..!"
वह डरते हुए उनके पास खड़ी हो गई क्योंकि वह उनसे कम ही बोलती थी ।
"जी " वह बोली ।
वह बोले ..",देखो तुम इस सोफे को बेच रहे थे ना ..! इसके अंदर मैंने पॉलिथीन में मंदिर के पैसे लपेटकर रखे हैं ..! इनको निकाल कर प्रधान जी को दे देना जरुर ..! बेटा बेमानी और इंसानियत से डरना जरुरी है इंसान से कभी नहीं डरना , अच्छा ..!"
कहते हुए सोफे से उठकर चले गए ।
श्याली यह अद्भुत नजारा देख दंग हो गई ,उसने दादाजी को रोकने की कोशिश की परंतु वह रोक नहीं पाई ..दूर तक जाते दादाजी फिर , दिखाई नहीं दे रहे थे । वह डर गई कि, दादाजी अचानक कहां गए ।
वह बड़बड़ाते हुए उठ रही थी ,"--दादाजी दादाजी ..!"
दूसरे कमरे से दादीजी दौड़कर आईं तो पूछीं ,"--क्या हुआ बेटा कोई बुरा स्वप्न था क्या ..?"
श्याली बोली नहीं ,"नहीं दादी बहुत अच्छा सपना था ,डरना जरूरी है... !"
दादी के पूछने पर श्याली ने सब वृत्तांत सुनाया ..!
सोफे के नीचे रखे ईमानदारी के पैसे मुस्करा रहे थे ...वे भी बेमानी से डरते थे ..।
ईमानदारी की मिसाल मरने के बाद भी पूरी तरह बनी रही ..!
आज भी वहां गांव के लोग बेमानी से डरते हैं , ईमानदारी के पाठ की पूजा करते हैं ।
#लेखनी
#लेखनी कहानी
#लेखनी कहानी का सफर
सुनंदा ☺️
Seema Priyadarshini sahay
06-Mar-2022 10:56 PM
बहुत अच्छी कहानी
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Sunanda Aswal
07-Mar-2022 12:06 PM
Thanks dear 💕
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